1. कुम्भ किसे कहते हैं?
‘कु’ पृथ्वी को कहते हैं तथा उम्भ परिपूरित करने को कहते हैं अर्थात् जो अपने प्रभाव से पृथ्वी को तेज और दिव्यता से भर दे, वह कुम्भ है। महाकुम्भ सूर्य, चंद्र और बृहस्पति के योग से लगते हैं, अतः प्रत्येक स्थान में महाकुम्भ बारह वर्षों के अंतर पर पड़ता है। कभी-कभी यह बारह वर्ष के स्थान पर ग्यारह वर्ष या तेरह वर्ष पर भी पड़ता है। लेकिन यह स्थिति बृहस्पति की गति के कारण आती है।
इसे निम्नलिखित सारिणी से समझा जा सकता है, जिसमें महाकुम्भ की ग्रह स्थिति को देखा जा सकता है-
(i) स्थान – हरिद्वार
सूर्य – मेष
चन्द्र – मेष
बृहस्पति – कुम्भ
नदी – गंगा
(ii) स्थान – प्रयाग
सूर्य – मकर
चन्द्र – मकर
बृहस्पति – वृष
नदी – गंगा(त्रिवेणी)
(iii) स्थान – उज्जयिनी
सूर्य – मेष
चन्द्र – मेष
बृहस्पति – सिंह
नदी – शिप्रा
(iv) स्थान – नासिक
सूर्य – सिंह
चन्द्र – सिंह
बृहस्पति – सिंह
नदी – गोदावरी
2. भारत में कहाँ-कहाँ महाकुंभ लगते हैं?
भारतवर्ष में चार स्थानों पर महाकुम्भ लगते हैं। ये चार स्थान हैं –
(i) हरिद्वार (माया) (ii) प्रयाग (iii) उज्जयिनी (उज्जैन) और (iv) नासिक।
3. महाकुम्भ 12 वर्षों पर ही क्यों पड़ता है?
बृहस्पति प्रायः 12 वर्षों बार घूमकर पुन:उसी राशि पर आता है। इसी कारण महाकुम्भ 12 वर्षों पर पड़ता है। 84 वर्षों में यह 11 वर्षों पर पुनः उसी राशि पर आता है। यह अपवाद होता है।
4. महाकुम्भ में कितने महत्वपूर्ण स्नान होते हैं?
महाकुम्भ में सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि पर रहते हैं। यह स्थिति अमावस्या के दिन आती है। सूर्य और चन्द्र की युति (योग) ही अमावस्या है। अतः महाकुम्भ में सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्नान अमावस्या के दिन होता है। इसके बाद सूर्य संक्रांति के दिन स्नान होता है। तीसरा स्नान पूर्णिमा का होता है। शेष दो स्नान अन्य महत्वपूर्ण तिथियों में होते हैं। इस प्रकार महाकुम्भ में पाँच महत्वपूर्ण स्नान होते हैं।
5. महाकुम्भ कितने नदियों के तट पर लगते हैं?
चार महाकुम्भ चार नदियों के तट पर लगते हैं। हरिद्वार का महाकुम्भ भगवती गंगा के तट पर लगता है। प्रयाग का महाकुम्भ गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम स्थल तीर्थराज में लगता है। उज्जयिनी का महाकुम्भ शिप्रा नदी के तट पर लगता है। अन्य नदियों की अपेक्षा यह नदी छोटी है। नासिक का महाकुम्भ गोदावरी के तट पर लगता है। गोदावरी को गंगा की तरह पवित्र और तारक माना जाता है। उज्जयिनी और नासिक में ज्योतिर्लिंग है। महाकाल के ध
कारण नासिक के महाकुंभ का महत्व बढ़ जाता है। तीर्थयात्रा प्रयाग भगवान ब्रह्मा की यज्ञभूमि है और हरिद्वार स्वर्गद्वार है।
6. महाकुम्भ की खास बातें क्या हैं?
* महाकुंभ धार्मिक पर्व है। इसे पर्यटन या उत्सवधर्मी प्रधान नहीं बनने देना चाहिए।
* हरिद्वार, प्रयाग और उज्जयिनी के महाकुम्भ पूर्णिमा से आरंभ होते हैं जबकि नासिक का महाकुंभ अमावस्या से आरंभ होता है।
* गोदावरी का प्राचीन नाम गौतमी भी है।
* प्रयाग का महाकुंभ जनवरी में और नासिक का कुंभ अगस्त माह में संपन्न होते हैं।
* महाकुंभ स्नान का फल अश्वमेघ और वाजपेय यज्ञ के तुल्य कहा गया है।
7. हरिद्वार कुंभ मेला 2021: एक दृष्टि में –
* हरिद्वार में कुंभ मेला भारत के हरिद्वार में हर 12 वर्ष में आयोजित किया जाता है। सटीक तिथि हिंदू ज्योतिष के अनुसार निर्धारित की जाती है। मेला तब आयोजित होता है जब बृहस्पति कुंभ राशि में होता है और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता हैं। कुंभ मेला में छह वर्ष बाद अर्ध कुंभ मेला का आयोजन किया जाता है।
* हरिद्वार कुंभ मेला 2021 हरिद्वार में 1 अप्रैल से 28 अप्रैल तक आयोजित किया जाएगा। कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए इसकी अवधि 28 दिनों तक सीमित करने का निर्णय किया गया है।
* इस वर्ष 11 मार्च, 2021 में शिवरात्रि के अवसर पर कुंभ मेला का पहला शाही स्नान आयोजित किया जाएगा। दूसरा शाही स्नान 12 अप्रैल, 2021 सोमवती अमावस्या के दिन पड़ेगा तथा तीसरा शाही स्नान 14 अप्रैल, 2021 को मेष संक्रांति के अवसर पर होगा। चौथा शाही स्नान 27 अप्रैल, 2021 को बैसाख पूर्णिमा के दिन पड़ेगा।