उच्च शिक्षा आयोग

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उच्च शिक्षा आयोग
उच्च शिक्षा आयोग

1.  उच्च शिक्षा आयोग क्या है?

उच्च शिक्षा प्रणाली (Higher Education Commission) के द्वारा ही किसी देश के मानव संसाधन का उच्चतम विकास होता है, शोध एवं विकास के क्षेत्र में नवाचार होते हैं तथा देश में कौशल विकास का मार्ग प्रशस्त होता है। हाल ही में उच्च शिक्षा का स्तर बढ़ाने और उसकी निगरानी के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) को खत्म कर एक नए संस्थान भारतीय उच्चतर शिक्षा आयोग (HECI) को लाने के लिए मसौदा जारी किया गया है। इस संदर्भ में मंत्रालय द्वारा शिक्षाविदों, हितधारकों और आम जनता से 7 जुलाई तक टिप्पणियाँ और सुझाव मांगे गए हैं। UGC को भंग करके उसकी जगह HECI के गठन का सुझाव मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत 2014 में गठित चार सदस्यीय हरी गौतम समिति द्वारा दिया गया था।

2.  इस आयोग का गठन कब किया गया?
वर्ष 2020 में आई नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा आयोग का गठन किया गया है। यह आयोग ही देश में उच्च शिक्षा का नियामक होगा। वर्ष 2019 के बजट में वित्तमंत्री ने नेशनल रिसर्च फाउंडेशन खोलने की घोषणा की थी। वर्ष 2021 के बजट में इस फाउंडेशन  के लिए आने वाले पाँच वर्षों में 50 हजार करोड़ रुपये आवंटित करने की घोषणा की गई है। इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।

3.  नया मसौदा क्या है?
*  इसमें कानूनी प्रावधानों के माध्यम से अपने फैसलों को लागू करने की शक्ति होगी।
*  आयोग के पास अकादमी गुणवत्ता के मानदंडों के अनुपालन के आधार पर अकादमिक परिचालन शुरू करने के लिए अनुमोदन प्रदान करने की शक्ति होगी।
*  विधेयक में दंडित करने के प्रावधान भी होंगे, जो कि चरणबद्ध तरीके से काम करेंगे।
*  आयोग एक राष्ट्रीय डेटा बेस के माध्यम से ज्ञान के उभरते क्षेत्रों के विकास और सभी क्षेत्रों में उच्च शिक्षा संस्थानों के संतुलित विकास एवं विशेष रूप से उच्च शिक्षा में अकादमिक गुणवत्ता की निगरानी करेगा।

4.  नए मसौदे का उद्देश्य क्या है?
भारतीय उच्चतर शिक्षा आयोग (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग निरसन अधिनियम) विधेयक 2018 के तहत UGC अधिनियम को निरस्त करना प्रस्तावित है और इसमें भारतीय उच्चतर शिक्षा आयोग की स्थापना का प्रावधान किया गया है। HECI का ध्यान अकादमिक मानकों और उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, सीखने के परिणामों और मानदंडों को निर्दिष्ट करने, शिक्षा /अनुसंधान के मानकों को निर्धारित करने पर होगा। यह मसौदा शिक्षा प्रणाली के समग्र विकास और उच्च शिक्षा संस्थानों को अधिक स्वायत्तता प्रदान करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।

5.  UGC को बदलने की आवश्यकता क्यों पड़ रही है?
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के वर्षों में उच्च शिक्षा क्षेत्र की संस्थागत क्षमता में अत्यधिक वृद्धि हुई है। विश्वविद्यालयों की संख्या वर्ष 1950 में 20 विश्वविद्यालय की तुलना में बढ़कर 2018 में 850 हो गई है। कॉलेज की संख्या में भी कई गुना वृद्धि दर्ज की गई है जो 1950 में 500 से बढ़कर वर्तमान में लगभग 40,000 से अधिक है। अतः शैक्षिक संस्थानों की इतनी बड़ी संख्या होने के कारण UGC के पास कार्यों का अत्यधिक बोझ परिलक्षित होता है।
भारत का कोई भी शैक्षिक संस्थान विश्व के अनुरूप नहीं है, अतः UGC की निगरानी प्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगते रहे हैं, साथ ही संस्थाओं की रैंकिंग, मूल्यांकन और अन्य मानदंडों ने शिक्षा स्तर में सुधार को अपरिहार्य बना दिया है।

6.  HECI के समक्ष प्रमुख चुनौतियां क्या हैं ?
*  शैक्षिक संस्थाओं की अवस्थिति अलग-अलग राज्यों में है, अब जबकि वित्तीयन का अधिकार सीधे केंद्रीय मंत्रालय के पास होगा इससे राज्यों और केंद्र के मध्य राजनैतिक गतिरोध बढ़ेंगे।
*  देश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या 2017 में 3 करोड़ 57 लाख तक पहुंच गई है जो 2014 की तुलना में लगभग 35 लाख अधिक है। बढ़ती हुई आवश्यकता की दर से अवसंरचना एवं विकास के साथ तालमेल बिठाने हेतु आयोग को अधिक प्रयास करना होगा।

7.  विश्वविद्यालय अनुदान आयोग : एक दृष्टि में
*  विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) 28दिसंबर, 1953 को आस्तित्व में आया और विश्वविद्यालय शिक्षा में शिक्षण, परीक्षा और अनुसंधान के मानकों के समन्वय, निर्धारण और रख रखाव के लिए 1956 में संसद के एक अधिनियम द्वारा यह भारत सरकार का एक सांविधिक संगठन बन गया।
*  पात्र विश्वविद्यालय और कॉलेजों को अनुदान प्रदान करने के अतिरिक्त आयोग केन्द्र और राज्य सरकारों को उच्च शिक्षा के विकास हेतु आवश्यक उपायों पर सुभाव भी देता है। यह बेंगलुरु, भोपाल, गुवाहाटी, हैदराबाद, कोलकाता और पुणे में स्थित अपने 6 क्षेत्रीय कार्यालयों के साथ-साथ नई दिल्ली स्थित मुख्यालय से कार्य करता है।

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