जस्टिस एन वी रमना : एक परिचय

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NV Ramana Images
Justice NV Ramana

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एस ए बोबडे (Sharad Arvind Bobde) ने अपने उत्तराधिकारी और देश के 48वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस एन वी रमना (NV Ramana) का नाम केंद्र को सुझाया है। CJI बोबडे 23 अप्रैल, 2021 को सेवा निवृत्ति होने वाले हैं। नियमों के अनुसार, वर्तमान मुख्य न्यायाधीश सेवा निवृत्ति से एक महीने पहले उत्तराधिकारी को लेकर सिफारिश भेजते हैं। अगर सरकार द्वारा सिफारिश को मंजूरी मिल जाती है, तो जस्टिस रमना 24 अप्रैल, 2021 को भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभालेंगे।

> जन्म – जस्टिस नथालपति वेंकट रमना (Nathalapati Venkata Ramana) का जन्म 27 अगस्त, 1957 को आंध्र प्रदेश राज्य के कृष्णा जनपद के पोन्नवरम गाँव में एक कृषक परिवार में हुआ था। एन एस भुवन और एन वी तनुजा इनकी दो संतानें हैं।

>  शिक्षा – इन्होंने साइंस और लॉ (BSc.,LLB) में स्नातक किया है। इन्होने आचार्य नागाजुंन विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट, केन्द्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट में कानून की प्रैक्टिस शुरू की। राज्य सरकारों की एजेंसियों के लिए वे पैनल काउंसिल के रूप में भी काम करते थे।
>  कॅरियर – उन्हें 10 फरवरी, 1983 को बार में एक वकील के रूप में नामांकित किया गया था। उन्हें 27 जनवरी, 2000 को आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। उन्होंने 10 मार्च, 2013 से 20 मई, 2013 तक आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस के रूप में काम किया। उन्होंने 2 सितम्बर, 2013 में दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य भार संभाला।
>  संप्रति – 17 फरवरी, 2014 से ये उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश हैं।
>  चर्चित फैसले – विगत कुछ वर्षों से जस्टिस रमना का सबसे चर्चित फैसला जन्म जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट की बहाली का रहा है। चीफ जस्टिस के कार्यालय को सूचना अधिकार कानून (RTI) के दायरे में लाने का फैसला देने वाली बेंच के भी जस्टिस रमना सदस्य रह चुके हैं।

1.  मुख्य न्यायाधीश कौन बनते हैं?
सबसे वरिष्ठ जज मुख्य न्यायाधीश बनते हैं। नियमों के अनुसार, सबसे वरिष्ठ जज को प्रधान न्यायाधीश के पद पर नियुक्त किया जाता है। कानून मंत्री सही समय पर वर्तमान CJI से उनके उत्तराधिकारी का नाम माँगते हैं। CJI से सिफारिशी चिट्ठी मिलने के बाद मंत्री इसे प्रधानमंत्री के सामने रखते हैं जो नियुक्ति को लेकर राष्ट्रपति को सलाह देते हैं।

2.  CJI के वेतन और भत्ते क्या होते हैं?
न्यायाधीश के लिए वेतन भत्ते अधिनियम 1 जनवरी, 2009 के अनुसार, उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को 2,80,000 रू० मासिक आय और न्यायाधीश को 2,50,000 रू० आय प्राप्त हुए हैं। इसके अतिरिक्त इन्हें नि:शुल्क आवास, मनोरंजन स्टाफ, कार, यातायात भत्ता मिलता है। इनके लिए वेतन संसद तय करती है जो संचित निधि से पारित होती है। कार्यकाल के दौरान वेतन में कोई कटौती नहीं होती है। न्यायाधीश का कार्यकाल 65 वर्ष आयु तक होता है।

3.  भारत की न्यायपालिका : एक दृष्टि में
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भारतीय न्यायपालिका (Indian Judiciary) आम कानून (Common Law) पर आधारित प्रणाली है। यह प्रणाली अंग्रेजों ने ओपनिवेशिक शासन के समय बनाई गई थी। इस प्रणाली को आम कानून व्यवस्था के नाम से जाना जाता है। इसमें न्यायाधीश अपने फैसलों, आदेशों और निर्णयों से कानून का विकास करते हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति (15 अगस्त, 1947) के बाद 26 जनवरी, 1950 से भारतीय संविधान लागू हुआ। इस संविधान के माध्यम से ब्रिटिश न्यायिक समिति के स्थान पर नई न्यायिक संरचना का गठन हुआ था। इसके अनुसार भारत में कई स्तर के तथा विभिन्न प्रकार के न्यायालय हैं। भारत का शीर्ष न्यायालय नई दिल्ली स्थित सर्वोच्च न्यायालय है जिसके मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है। इसके नीचे विभिन्न राज्यों में उच्च न्यायालय हैं। उच्च न्यायालय के नीचे जिला न्यायालय और उसके अधीनस्थ न्यायालय है जिन्हें निचली अदालत कहा जाता है।
*  सर्वोच्च न्यायालय –
भारत की स्वतंत्र न्यायपालिका का शीर्ष सर्वोच्च न्यायालय है जिसका प्रधान प्रधान न्यायाधीश होता है। सर्वोच्च न्यायालय करे अपने नए मामलों तथा उच्च न्यायालयों के विवादों, (दोनों) को देखने का अधिकार है। भारत में 25 उच्च न्यायालय हैं, जिनके अधिकार और उत्तरदायित्व सर्वोच्च न्यायालय की अपेक्षा सीमित हैं। न्यायपालिका और व्यवस्थापिका के परस्पर मतभेद या विवाद का फैसला राष्ट्रपति करता है।

*  न्यायाधीश की नियुक्ति –
भारत के संविधान में सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय और जिला न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर नियम बनाए गए हैं। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा मुख्य न्यायाधीश की सलाह से होती है। उनकी नियुक्ति मुख्य न्यायाधीश और चार परिष्ठ जजाँ के समूह के अंतर्गत होती है। उसी प्रकार हाइकोर्ट के लिए राष्ट्रपति मुख्य न्यायाधीश, उस राज्य के राज्यपाल और उस हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को सलाह पर नियुक्ति करता है।

*  न्यायाधीशों की पदच्युति –
किसी जज को उसके पद से कदा चार के आधार पर राष्ट्रपति के आदेश पर हटाया जा सकता है। सर्वोच्च तब ही हटाया जा सकता है जब नोटिस पर 50 राज्य सभा या 100 लोकसभा सदस्यों के हस्ताक्षर हो।

*  जज बनने की पात्रता –
>  उसे भारत का नागरिक होना चाहिए।
>  सुप्रीम कोर्ट का जज बनने हेतु उसका पाँच वर्ष अधिवक्ता के रूप में या किसी हाइकोर्ट के रूप में दस वर्ष कार्य किया होना आवश्यक है।
>  हाईकोर्ट का जज बनने हेतु उसका किसी हाइकोर्ट में कम से कम दस वर्ष अधिवक्ता के रूप में कार्य किया होना आवश्यक है।

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