हेरॉन ड्रोन (Heron Drone)

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Heron Drone
Heron Drone

हाल में भारत और चीन के बीच हुए सीमा विवाद के चलते उपजे तनाव के कारण भारत सरकार ने भारत चीन पर सीमा पर निगरानी बढ़ाने का फैसला किया। इसके लिए हेरॉन ड्रोन को उपयोग करना तय किया गया ।
भारत और चीन के बीच की सीमा हिमालय के पर्वतों पर पड़ती है इसलिए इस तरह के क्षेत्रों में युद्ध बहुत अलग तरह का हो जाता है। यहाँ के दुर्गम क्षेत्रों में सीधे दूरबीन से नजर नहीं रखी जा सकती है इसलिए हेरॉन जैसे ड्रोन अत्यधिक उपयोगी प्रमाणित होते हैं। निगरानी के लिए हेरॉन विश्वस्तरीय ड्रोन है जो अब भारत-चीन सीमा (LAC) पर निगरानी करेगा। वर्तमान में संपूर्ण विश्व में सैन्य क्षमता का विकास तकनीकी क्षमता से संपन्न हो चुका है। अमेरिका,चीन सहित विश्व के कई देश अपनी सेना में रोबोट के उपयोग की तैयारी कर रहे हैं। इस श्रृंखला में वे सारे उपकरण शामिल हैं जिन्हें UAV (Unmanned Aerial Vehicle) भी जाता है। इन दिनों इजराइल निर्मित ड्रोन हेरॉन काफी चर्चा में है।

1.  हेरॉन क्या है?
हेरॉन टी पी ड्रोन मिसाइल से लैस होते हैं। इनकी तुलना अमेरिका के प्रिडेडर और रीपर ड्रोन से की जाती है। इजराइल में हेरॉन टीपी ड्रोन इरियन के नाम से जाना जाता है जो लगातार 30 घंटे की उड़ने की क्षमता रखता है।
हेरॉन या माकात्ज एक मीडियम एल्टीट्यूड का UAV है। इसे विशेष रूप से निगरानी और सर्विलियंस ऑपरेशन के लिए निर्मित किया गया है। इसे कनाडा की कंपनियों के सहयोग से निर्मित किया गया है।

2. यह ड्रोन कैसे काम करता है?
यह सिस्टम संपूर्ण रूप से स्वचालित है। इसके उड़ान भरने और उतरने के समय विपरीत मौसमी दशाओं में भी कोई कठिनाई नहीं होती है। हेरॉन 30 हजार फीट की ऊँचाई तक उड़ सकता है। यह इसे चलाने वाले को युद्ध के मैदान पर वास्तविक समय की जानकारी उपलब्ध कराता है। यह GPS नेवीगेशन सिस्टम के द्वारा निगरानी का काम करता है। इसे जमीन से भी नियंत्रित किया जा सकता है। इसे दोनों के संयोजन से भी संचालित किया जा सकता है। अपने बेस से संपर्क टूटने पर यह स्वयं ही बेस पर वापस आ सकता है। इस सिस्टम में स्वचालित लांच और रिकवरी है।

3.  इस ड्रोन की विशेषताएँ क्या हैं ?
इसमें बहुत से सेंसर्स हैं जिसमें थर्मोग्राफिक कैमरा शामिल है जो इंफ्रारेड और प्रकाश तरंगों का उपयोग कर हवा से जमीन पर निगरानी रखने के काम आता है। इसमें कोमइन्ट (Commint) और एलिंट (Elint) इंटेलिजेंस सिस्टम के साथ बहुत से रडार सिस्टम भी का लगाए जा सकते है। पूरे सिस्टम का वजन 250 किग्रा तक हो सकता है। इसके अतिरिक्त यह सदस्य ढूंढने में भी सक्षम है।

4.  पेलोड सेंसर क्या है?
पेलोड सेंसद जमीन पर कंट्रोल स्टेशन से सीधे या फिर सैटेलाइट के द्वारा संपर्क कर सकते हैं। नेविगेशन सिस्टम(Navigation System) की तरह पेलोड को भी या तो पहले से प्रोग्राम किया जा सकता है या दोनों का संयुक्त प्रयोग किया जा सकता है।

5.  हेरॉन का उपयोग विश्व में किन-किन देशों द्वारा किया जा रहा है?
हेरॉन और उसके कई प्रकार के UAV का उपयोग तुर्की, सिंगापुर, कनाडा, आस्ट्रेलिया, फ्रांस और भारत जैसे देश कर रहे हैं। आस्ट्रेलिया ने इसे अफगानिस्तान युद्ध में प्रयोग किया था।

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