1. एन सी टी बिल 2021 क्या है?
दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2021 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की चुनी हुई सरकार को विधायिका और प्रशासन से जुड़े प्रस्तावों को उपराज्यपाल के पास भेजने की एक टाइम लाइन (time line) है।
केंद्र सरकार ने 22 मार्च, 2021 को संसद में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (N.C.T) शासन संशोधन विधेयक 2021 पारित कराया था। जिसमें उपराज्यपाल को और अधिकार देने की बात कही गई है। इस विधेयक को लेकर देश की राजधानी की राजनीति में टकराव देखने को मिला। दिल्ली सरकार और संसद में विपक्षी दलों ने इस विधेयक को काला कानून बताते हुए लोकतंत्र के विरूद्ध ठहराया था। जबकि केंद्र सरकार का तर्क था कि यह विधेयक कोई नया विधेयक नहीं है, इसे 1991 मेें ही लाया गया था। हम केवल इसमें आवश्यक संशोधन कर रहे हैं जिससे दिल्ली सरकार सुचारू रूप से चल सकेगी।
2. पुराना कानून क्या है?
देश के आठ केन्द्र शासित प्रदेशों में से दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र कहा जाता है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को छोड़कर सभी केंद्र शासित प्रदेशों में अनुच्छेद 239 लागू होता है। वर्ष 1991 में संविधान में 69वां संशोधन किया गया था। जिसके बाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए अनुच्छेद 239AA और 239AB को लाया गया।
3. 69 वां संविधान संशोधन (1991) क्या है?
69वें संविधान संशोधन (1991) के अंतर्गत दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र बनाया गया। दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के लिए 70 सदस्यीय विधान सभा और सात मंत्रिपरिषद् का प्रावधान किया गया था।
4. अनुच्छेद 239AA क्या है?
इसके अंतर्गत दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT of Delhi) का दर्जा दिया गया है। इसके प्रशासक एल जी (LG) अर्थात् उपराज्यपाल हैं। संविधान के 239A अनुच्छेद के अंतर्गत राष्ट्रपति दिल्ली के लिए उपराज्यपाल की नियुक्ति करते हैं। दिल्ली के उपराज्यपाल के पास अन्य राज्यपालों की तुलना में अधिक शक्तियां हैं। दिल्ली विधान सभा पुलिस, कानून व्यवस्था और भूमि संबंधी कानून नहीं बना सकती है क्योंकि ये तीनों अधिकार केंद्र सरकार और संसद के अधीन हैं। किसी मुद्दे पर यदि उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के फैसले में मतभेद है तो उपराज्यपाल मामला राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं। इमर्जेंसी की स्थिति में उपराज्यपाल फैसले ले सकते हैं।
5. अनुच्छेद 239AB क्या है?
इस अनुच्छेद (239AB) की शक्तियां इमर्जेंसी की स्थिति में लागू होती है। यदि उपराज्यपाल को लगता है कि मंत्रिमंडल, सरकार का संचालन करने में अक्षम है तो वह राष्ट्रपति को इमर्जेंसी लागू करने की सिफारिश कर सकते हैं।
6. संशोधन विधेयक 2021 के प्रावधान क्या हैं ?
इस नए विधेयक के अंतर्गत दिल्ली में ‘सरकार’शब्द का आशय ‘उपराज्यपाल’ होगा। इसमें उपराज्यपाल के विवेक के अधीन शक्तियों का विस्तार किया गया है। यह विधेयक सुनिश्चित करता है कि दिल्ली में दिल्ली मंत्रिमंडल द्वारा लिए जाने वाले किसी भी निर्णय को लागू करने से पहले उपराज्यपाल से विचार – विमर्श करना आवश्यक है। विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि उक्त विधेयक विधानसभा और कार्यपालिका के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों का विकास करेगा। इस संशोधन का उद्देश्य मूल विधेयक में जो अस्पष्टता है उसे दूर करना, जिससे इसे लेकर विभिन्न अदालतों में कानून को चुनौती नहीं दी जा सके।
7. विधेयक में संशोधन की आवश्यकता क्यों पड़ी?
विगत कुछ वर्षों में कई बार दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल की शक्तियों में टकराव के मामले सामने आए थे। 1991 के अधिनियम में प्रक्रिया और कार्य संचालन से संबंधित प्रावधान किए गए हैं। यद्यपि इसमें कई शक्तियों की स्पष्ट रूप से व्याख्या नहीं की गई है तथा फैसलों के प्रभावी समयबद्ध कार्यान्वयन के लिए कोई संरचनात्मक तंत्र स्थापित नहीं किया गया है। इस संशोधन विधेयक में दिल्ली के उपराज्यपाल की कुछ भूमिकाओं और उनके अधिकारों को परिभाषित किया गया है।