अनुसंधान से पता चलता है कि मानव जैसे प्राणी अथवा आदिम होमिनिड्ज सर्वप्रथम अभिनूतन काल के प्रारम्भ में प्रकट हुए।सभी समाप्त हो गए। दुर्भाग्यवश पुरापाषाण काल के मानव के कोई अस्थिपंजर भारत में प्राप्त नहीं हुए हैं, यद्यपि उन वानरों के जीवाश्म, जिनसे मानव और वर्तमान वानरों का अन्ततोगत्वा विकास हुआ, शिवालिक की पहाड़ियों में मिले हैं। इनमें से सबसे सुविख्यात वानर 80 लाख वर्षों से पहले के हैं। उन्हें रामापिथिकस नाम दिया गया है।
आदिमानव के विशिष्ट प्रकार
1. ऑस्ट्रेलोपिथीकस – यह पहला वानर-मानव था जो सीधा चलता था। वह होमिनिड से मिलता-जुलता था और मध्य अफ्रीका में पाया जाता था। इसकी औसत ऊँचाई 42 से 50 इंच और भार 40 से 70 पौण्ड था। यह 5 लाख वर्ष पहले पृथ्वी पर रहता था। यह नग्न रहता था और भरण-पोषण के लिए पूर्णतया प्रकृति पर निर्भर था।
2. जिंजानथ्रोपस – यह आस्ट्रेलोपिथिकस की उपजाति थी। यह औजार बनाती थी और बेर, कन्दमूल और कीड़े-मकोड़े खाती थी।
3. जावा मानव – आदि होमिनिड प्राणियों के अवशेष जावा में मिले हैं। वहाँ एक नदी की रेती से एक खोपड़ी का ऊपरी भाग, दाँत और एक हड्डी मिली है। ये हड्डियाँ एक ऐसे होमिनिड की थी जो सीधा होकर चल सकता था। इसीलिए इसे पिथिकांथ्रोपस इरेक्टस कहा गया है। आज से 5 लाख वर्ष पूर्व इस पृथ्वी पर यह मानव रहता था।
4. पेकिंग मानव – चीन के पुराविदों ने 1929 ई० में पेकिंग के निकट खुदाई में 40 अस्थिपंजर (जीवाश्म) एक गुफा से प्राप्त किए। इसे पेकिंग मानव या सिनांथ्रोपस मानव के नाम से भी जाना जाता है। इसका चेहरा जावा मानव से कुछ विकसित है। यह मानव भी आज से 5 लाख वर्ष पूर्व ही रहता था। गुफा में जली हुई कुछ अस्थियाँ प्राप्त हुई हैं। इसे आग का ज्ञान था। यहाँ प्राप्त औजारों से इनके द्वारा पशुओं के शिकार करने का भी बोध होता है।
5. निअण्डरथल मानव -1956 ई० में जर्मनी की निअण्डरथल घाटी तथा कुछ अन्य स्थानों पर आदिमानव के जीवाश्म मिले हैं। यह मध्य-पुरापाषाण काल का प्रतिनिधित्व करता है। यह मानव मृतकों का आदर करता था और शवों को पूजा की सामग्रियों सहित कब्र में दफनाता था। उसका विश्वास धर्म और पुनर्जन्म में भी था। यह आदिमानव आग जलाना, पशुओं का शिकार करना,मानव-समूहों में रहना जानता था। इसकी गर्दन छोटी, चेहरा चौड़ा और माथा ढलवाँ था। यह आज से लगभग 1 लाख 60 हजार वर्ष पूर्व पृथ्वी पर रहता था।
6. पिल्टडाउन मानव -यह मानव इंग्लैण्ड के पिल्टडाउन नामक स्थान की खुदाई में प्राप्त हुआ है। यहाँ मानव की खोपड़ी तथा जबड़े की कुछ अस्थियाँ भी प्राप्त हुई हैं। इसकी खोज चार्ल्स डाउसन ने सन् 1920 ई० में किया था। यह मानव आज से लगभग 2 लाख वर्ष पूर्व इस पृथ्वी पर रहता था। यह औजारों तथा हथियारों का प्रयोग करना जानता था।
7. क्रोमैगनॉन मानव – फ्रांस में स्थित क्रोमैगनॉन नामक स्थान पर अनेक अस्थिपंजर व अवशेष मिले हैं। यह आज से लगभग 35 हजार वर्ष पूर्व इस पृथ्वी पर रहता था। उसकी शक्ल आधुनिक मानव से मिलती-जुलती है। यह 6 फीट से अधिक लम्बा, चौड़ा मस्तक, पतली नाक तथा ऊँची ठोड़ी वाला था। यह आदिमानव बोलना भी जानता था।
8. होमोसेपियन्स मानव – मध्य एशिया के कुछ क्षेत्रों में इस आदिमानव के 30 से 40 हजार वर्ष पूर्व पुराने अस्थियों के अवशेष प्राप्त हुए हैं। यह मानव दो उपजातियों में विभक्त था_क्रोमैगनॉन तथा ग्रीमाल्डी मानव। यह पहला मानव-प्रारूप था, जिसमें ऐसे दो महत्वपूर्ण शारीरिक लक्षण पाए गए जो पहले कभी नहीं देखे गए थे। पहला लक्षण एक उभरी हुई ठोड़ी का विकास, दूसरा खोपड़ी में गोलाकार या उत्तल अग्रभाग का निर्माण।
इसके अतिरिक्त 1907 ई० में जर्मन में स्थित हीडलबर्ग तथा 1921ई० में रोडेशिया में स्थित ब्रोकेन हिल नामक स्थानों से भी आदिमानव के अवशेष खुदाई में प्राप्त हुए हैं। उन्हें क्रमशः हीडलबर्ग मानव तथा रोडेशिया मानव के नाम से जाना जाता है।