सरकार के साथ-साथ कई अन्य पक्ष भी आपसे कर वसूली करते हैं। आप जिस संस्थान में कर्मचारी के रूप में काम करते है, वहां भी आपके वेतन से सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर कर कटौती की जाती है। यदि आपने बैंक या कंपनी फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश किया है, तो आपके बैंक या कंपनी की ओर से ब्याज का भुगतान करते समय कर का कुछ प्रतिशत काट लिया जाता है। कर के इस भाग को स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) कहते हैं।
इसी तरह यदि आप प्रवासी भारतीय है और संपत्ति बेचते हैं, तो खरीदार भुगतान की रकम में से टीडीएस के रकम कम काटता है, जिसका सरकार को भुगतान कर दिया जाता है। कर विशेषज्ञों के अनुसार प्रत्यक्ष कर के रूप में सरकार द्वारा कुल अर्जित कर आय का 40 प्रतिशत टीडीएस के द्वारा एकत्र होता है।
सामान्यतः कंपनियों में कर्मचारियों के वेतन पर बनने वाले कुल वार्षिक कर को प्रति माह के आधार पर बांट लिया जाता है और उसी अनुसार वेतन में से काटा जाता है। यदि आप अपने कर की रकम को काम करना चाहते हैं, तो आपको उस वित्तीय वर्ष विशेष में अपने निवेश का घोषणापत्र जमा कराना होगा। अच्छा होगा कि आप यह घोषणा वित्त वर्ष के शुरू में जमा करा दें, जिससे नियोक्ता उसी अनुरूप कर की कटौती करता है।
इसी तरह एफडी में हालांकि मिलने वाले ब्याज पर आयकर स्लैब के अनुरूप कर लगाया जाता है। यहां टीडीएस काटने का एकमात्र उद्देश्य आपके कुल कर में से कुछ रकम पहले प्राप्त कर लेना है। आयकर रिटर्न जमा कराते समय आपको पहले कट चुके टीडीएस का विवरण जमा कराना होगा। यह विवरण कर की कटौती करने वाले पक्ष की ओर से आपको टीडीएस सर्टिफिकेट के रूप में दिया जाता है।