गुजरात सांस्कृतिक रूप से काफी समृद्ध राज्य है।




यह मंदिरों के लिए भी काफी मशहूर है।भगवान श्रीकृष्ण का द्वारकाधीश मंदिर हो, काठियावाड़ का सोमनाथ मंदिर या फिर द्वरकापुरी से 25 किमी० दूर नागेश्वर ज्योतिर्लिंग हर जगह असीम शांति की अनुभूति होती है।
अंबाजी, पावागढ़, मोढ़ेरा, गांधीनगर, स्वामीनारायण मंदिर, जैन मंदिर, अहमदाबाद में महात्मा गांधी को साबरमती आश्रम और कीर्ति मंदिर जाकर बापू की यादों को सहेजा जा सकता है।
यहां गिर राष्ट्रीय उद्यान, वेलावदार राष्ट्रीय उद्यान, बंसदा राष्ट्रीय उद्यान और मेरिन राष्ट्रीय उद्यान मिलाकर कुल चार राष्ट्रीय उद्यान हैं। गुजरात न केवल जानवरों के संरक्षण में आगे है, बल्कि यह भारत का आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से धनी राज्य भी है।
गुजरात पारंपरिक हस्तशिल्प का केंद्र भी है, जो विश्व भर के पर्यटकों द्वारा सराहा जाता रहा है।
गुजरात में नवरात्र के मौके पर गरबा बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय पतंग उत्सव अपनी रंग-बिरंगी पहचान बना चुका है।
तरणेतर मेला, माधवराय मेला, अंबाजी मेला डाकोर मेला, मोदेरा डांस फेस्टिवल, भावनाथ मेला, चित्र-विचित्र, लिली परिक्रमा मेला, श्यामलाल जी मेला, वौथा मेला, कैवेंट मेला, रण उत्सव, तानारिरि उत्सव पर्यटकों को अपनी ओर खींचते हैं।