यह एक मधुमेह मापक उपकरण है। यह एक ऐसा उपकरण है, जिसकी सहायता से खून में ग्लूकोज की मात्रा के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है। इसे एसएमबीजी ( Self Monitoring of blood glucose) भी कहते हैं। इसका सबसे बड़ा लाभ है कि इसकी सहायता से नियमित अंतराल में खून की जाँच घर पर ही किया जा सकता हैं। इसे 1970 में खोजा गया था, लेकिन 1980 तक आते-आते इसका प्रचलन काफी बढ़ गया। इसके आविष्कार के पहले मधुमेह को यूरिन टेस्ट के आधार पर मापा जाता था। यह इलेक्ट्रोकेमिकल सिद्धांत के आधार पर काम करता है। इसके अतिरिक्त हाइपोग्लाइसिमिया ( High Blood Pressure) के स्तर को मापने के लिए भी इसका प्रयोग होता है।
यह कैसे कार्य करता है?
लेंसट के माध्यम से एक बूंद रक्त लेने के बाद उसे डिस्पोजल टेस्ट स्ट्रिप में रखा जाता है, जिसके आधार पर मीटर ब्लड का ग्लूकोज लेवल मापता है। मीटर ग्लूकोज लेवल बताने में 3 से 60 सेकण्ड का समय लेता है, यह प्रयोग किए जा रहे मीटर पर निर्भर करता है। वह इसे मिग्रा० प्रति डेली० या मिलींमोल प्रति लीटर के रूप में प्रदर्शित करता है।
इसके मुख्य पार्ट हैं — टेस्ट स्ट्रिप, कोडिंग, डिस्प्ले, क्लॉक मेमोरी। टेस्ट स्ट्रिप में एक केमिकल लगा होता है जो रक्त की बूंद में उपस्थित ग्लूकोज से क्रिया करता है। कुछ मॉडलों में प्लास्टिक स्ट्रिप होती है, जिसमें ग्लूकोज ऑक्सीडेज का प्रयोग होता है। सामान्यतः प्लाज्मा में ग्लूकोज का स्तर, पूरे खून में ग्लूकोज के स्तर की तुलना में 10 से 15 प्रतिशत अधिक होता है। घरेलू ग्लूकोज मीटर पूरे ब्लड में ग्लूकोज के स्तर को नापते है, जबकि टेस्ट लेब में प्रयुक्त होने वाले मीटर प्लाज्मा में ग्लूकोज के स्तर को नापते हैं।
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